Class 12th Political Science New Topics
सी.बी.एस.ई. द्वारा वर्ष 2020- 2021 में जोड़ा गया नया विषय
अरब स्प्रिंग (अरब जागृति क्रांति या अरब विद्रोह)
20 वीं शताब्दी में मध्य पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका में लगातार विरोध प्रदर्शन और धरना प्रदर्शन 2009 में होना शुरू हो गये थे. इसे ही अरब स्प्रिंग या अरब विद्रोह के नाम से जाना जाता है. अरब स्प्रिंग क्रांति की ऐसी लहर थी जिसने अरब जगत में धरना, विरोध-प्रदर्शन,दंगे और सशस्त्र संघर्ष की बदौलत पूरे अरब जगत के साथ पूरे विश्व को हिला कर रख दिया. इसके कारण लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और पश्चिमी एशियाई देशों में लोकतान्त्रिकरण के लिए नए विकास का उदय हुआ.
इस अरब स्प्रिंग ने ट्यूनीशिया में अपनी जड़ें जमा लीं क्योंकि जनता द्वारा बेरोजगारी तथा निर्धनता के विरूद्ध संघर्ष हो गया था. यह संघर्ष एक राजनितिक आन्दोलन में परिवर्तित हो गया जिसका मुख्य कारण था कि जनता तत्कालीन समस्याओं को निरंकुश तानाशाही का परिणाम मानती थी.
अरब स्प्रिंग की शुरुआत कैसे हुई?
17 दिसंबर 2010 को ट्यूनीशिया में मोहम्मद बउजिजि नाम के फल विक्रेता ने पुलिस और प्रशासन की 'नाइंसाफी' से परेशान होकर खुद को आग लगा ली थी. बउजिजि की मौत अरब स्प्रिंग के लिए एक चिंगारी थी. ट्यूनीशिया अकेला देश नहीं था जो प्रशासन और सरकार की तानाशाही और बर्बरता से त्रस्त हो चुका था.
इसके अतिरिक्त अरब क्रांति का प्रभाव को यमन, अल्जीरिया,मिस्र , जार्डन तक देखा जा सकता है, जो जल्द ही पूरे अरब लीग और उसके आसपास के क्षेत्रों में फैल गया. इन विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप कई देशों के शासकों को सत्ता की गद्दी से हटने पर मजबूर होना पड़ा। बहरीन, सीरिया, अल्जीरिया. ईराक, सुहान, कुवैत. मोरक्को, इजरायल में भारी जनवरोध हुए, तो वही मौरितानिया ओमान, सकदी अरब, पश्चिमी सहारा तथा फिलिस्तीन भी इससे अछूते न रहे। होस्नी मुबारक, जो 1979 के पश्चात से मिस्र में सत्ता में थे, एक बड़े स्तर पर लोकतान्त्रिक विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप ध्वस्त हो गए। जनता द्वारा इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन ने पुरे क्षेत्र में लोकतान्त्रिक जागृति को जन्म दिया।
हाँलाकि यह क्रान्ति अलग-अलग देशों में हो रही थी, परंतु इनके विरोध प्रदर्शनी के तौर-तरीक में कई समानता थी- हड़ताल, धरना, मार्च एवं रैली। अमूमन, शुक्रवार (जिसे आक्रोश का दिन भी कहा जाता) को विशाल एवं संगठित भारी विरोध प्रदर्शन होता. जब जुमे की नमाज अदा कर सहवा पर आम नागरिक एकत्रित होते थे।
सोशल मीडिया का अरब क्रांति में अनोखा एवं अभूतपूर्व योगदान था। एक बेहद ही ढाँचागत तरीके से दूर-दराज के लोगों को क्रांति से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल हुआ। अरब के क्रान्तिकारी समूहों को सरकार, सरकार समर्थित हथियारबंद लयाको एवं अन्य विरोधियों से दमन का सामना करना पड़ा, लेकिन ये अपने नारे 'जनता की पुकार-शासन का खात्मा हो' ("the people want to bring down the regime") के साथ आगे बढ़ते रहे.
अरब स्प्रिंग (अरब क्रांति) के कारण
- विशेषज्ञों के मुताबिक अरब क्रांति का प्रमुख कारण आम जनता को वहां की सरकारों से असंतोष एवं आर्थिक असमानता थीं।
- इनके अलावा तानाशाही. मानवाधिकार उल्लंघन राजनैतिक भ्रष्टाचार, वेरोजगारी, बदहाल अर्थ व्यवस्था एवं स्थानीय कारण भी प्रमुख थे।
- कुछ जानकरों - जैसे स्लोवेनियाई (पार्शनिक), के मुताबिक 2009-2010 ईरान के चुनाव पर विरोध प्रदर्शन को भी एक कारण माना जाता है।
- इन सबके बीच आसमान छूती खाद्य मूल्य एवं तुरंत-तुरंत आती अकाल ने जन-असताष को चरम पर पहुंचा दिया।
- ट्यूनीशिया में मोहम्मद बडोजिजी (Md- Bouuriai) ने पुलिस प्रष्टाचार एवं दुल््यव्हार से त्रस्त हो आत्मदोह कर लिया। इनकी मृत्यु ने सरकार से असंतुष्ट वर्गों को एक करने का काम किया और सरकार विरोधी प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया, जिसमें समाज का हर तबका शामिल था।
- ट्यूनीशिया की इस घटना के बाद अरब जगत में अपनी-अपनी सरकारों के खिलाफ जन-विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया।
1 तथा 2 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न : अरब स्प्रिंग शब्द किसके लिए प्रयोग में लाया जाता है ?
उत्तर: अरब में 21वी शताब्दी में क्रांति के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द।
प्रश्न : अरब स्प्रिंग का आरम्भ कब से माना जा सकता है?
उत्तर: 2009 से
प्रश्न : ट्यूनीशिया में आरम्भ अरब क्रांति किसके विरोध में हुई?
उत्तर: तानाशाही, मानवाधिकार उल्लंघन, राजनेतिक प्रष्टाचार, बेरोजगारी, बदहाल अर्थ-व्यवस्था एवं स्थानीय कारण विदोह को जन्म देने में सहायक सिद्ध हुए.
प्रश्न : अरब स्प्रिंग (क्रांति) का प्रभाव अन्य किन क्षेत्रों में देखा जा सकता है?
उत्तर : यमन, बहरीन, लोबिया तथा सीरिया आदि।
प्रश्न : होस्नी मुबारक का सम्बन्ध निम्न में से किस देश की सत्ता से हैं?
उत्तर: मिस्र
प्रश्न : अरब स्प्रिंग (क्रांति) के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर : (a) लोकतंत्र की स्थापना
(b) तानाशाही का खात्मा
(c) सरकार जनता को आकांक्षाओं को पूरा करे
प्रश्न : पश्चिमी एशियाई देशों में लोकतांत्रिकरण की शुरूआत कब से मानी जा सकती है?
उत्तर : 21वीं शताब्दी से तथा मुख्य रूप से 2009-2010 के बाद।
प्रश्न : 2009 से पूर्व अरब देशो में किस प्रकार के शासन प्रणाली को देखा जा सकता है?
उत्तर: ॐ तानाशाही।
प्रश्न : ट्यूनीशिया में विद्रोह की शुरुआत का तत्कालीन कारण क्या था?
उत्तर : ट्यूनीशिया में 14 दिसमबर 2010 को मोहम्मद प्रश्न - बउजिजी (Md-Bousziai) के आत्मदाह।
प्रश्न : 1979 के पश्चात से मिस्र में लम्बे समय तक सत्ता में रहे नेता का नाम बताए?
उत्तर : होस्नी मुबारक।
प्रश्न : 'जनता को पुकार-शासन का खात्मा हो यह नारा किस क्रांति में प्रयोग किया गया?
उत्तर : अरब स्प्रिंग (क्रांति)।
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